Friday, November 12, 2010

हमारे लोकतंत्र की पहचान-परंपरा

भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के मामले में पाकिस्तान को भारत से सीख लेनी चाहिए। ये विचार एक पाकिस्तानी दैनिक ने अपने सम्पादकीय में व्यक्त किए हैं।
अखबार ने कहा की भारत ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे कांग्रेस के दो नेताओं को इस्तीफा देने का निर्देश देकर अपने नेताओं को जिम्मेदार बताया है। पाकिस्तान की सरकार को भी भ्रस्टाचार सहित नेतिकता के मामलों में एसा ही करना चाहिए।
भारत में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से इस्तीफा मांग कर देश के सामने पुनः एक मिशाल कायम की है सुरेश कलमाडी को खेलों के उनके प्रबंधन के कारण भारत की शर्मसार स्तिथीबनी थी और भ्रस्ताचार के गंभीर आरोपों से घिर गए थे ,
अशोक चव्हाण ने कारगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं के लिए बनी आवासीय इमारत में हुए घोटाले में उनका नाम कथित तौर पर आया ।दोनों मामलों की अभी प्रारंभिक जाच चालू हुयी है उनके दोष अभी साबित नहीं हो पाए हैं, लेकिन नेताओं ने अपने पद की गरिमा बरकरार रखने के लिए इस्तीफा दे दिया है। ये एक नयी मिशाल है वेसे सूचना के अधिकार ,पंचायती राज प्रणाली जे कदम पर कांग्रेस की सार्थक सोच का लाभ भी भारतीय राजनेतिक परम्परयो को बनाने में रहा है यह अर्जुन सिंह ,विद्याचरण शुक्ल ,प्रणब मुखर्जी ,चन्द्र शेखर ,कई रेल मंत्री ,रक्चा मंत्री ,राशन घोटालो में नेतिकता का तकाजा सामने रखा गया था ,
इसी परंपरा नुसार ताजा कार्रवाई, पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक नया कदम है और यही हमारे लोकतंत्र की पहचान है।

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