Saturday, March 2, 2013

वनोपज वनवासियों के

छत्तीसगढ़ में उत्पादित वनोपजों यहां के वनवासियों के लिए अतिरिक्त आमदनी का प्रमुख जरिया है।जंगलों की सुरक्षा के लिए राज्य में जन-भागीदारी को आधार बनाते हुए संयुक्त वन प्रबंधन नीति को आधार बनाया गया है। राज्य के वनक्षेत्र की सीमा से पांच किलोमीटर के भीतर लगभग ग्यारह हजार गांव आते हैं। संयुक्त वन प्रबंधन नीति के तहत इन गांवों में सात हजार 997 वन प्रबंधन समितियां गठित की गई हैं, जिनमें 27 लाख से अधिक ग्रामीण सदस्य के रूप में शामिल हैं। इन समितियों को लगभग तैंतीस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगलों की सुरक्षा और उनके रख-रखाव तथा विकास की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। सुरक्षा के एवज में इन समितियों को उत्पादित वनोपजों की एक निश्चित हिस्सा अथवा नगद दी जाती है। वन प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा वनों का अग्नि, अवैध चराई, अवैध कटाई, अवैध परिवहन, अवैध उत्खनन, अतिक्रमण और शिकार से बचाव कार्य किया जाता है तथा वन विभाग को इसमें सहयोग किया जाता है। इन समितियों की मुस्तैदी से जंगलों को बचाने में मदद मिली है तथा इसका लाभ भी वनवासियों को मिला है।

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