Tuesday, March 5, 2013

सुयोग्य रिश्ता मिलने में ब्लड ग्रुप मिलायें

Ajay Tripathi's pictureहिन्दुस्तान में रहने वाले समस्त समाज के सामने एक प्रमुक समस्या है अपनी औलाद के लिए सुयोग्य रिश्ते की और सुयोग्य रिश्ता मिलने में प्रमुख समस्या है। जन्म कुंडली का मिलान करना। जन्म कुंडली के चक्कर में अच्छे अच्छे रिश्ते हाथ से निकल जाते हैं । सुयोग्य सुन्दर, सुशील लडक़े लड़कियां एक दूसरे को पसंद करते हुए बी, खानदान एक दूसरे को पसंद करते हुए भी, रिशेत नहीं हो पाते है सिर्फ जन्म कुंडली के चक्कर में भाईयों बहिनों अगर जांच करवानी ही है तो उनके चाल चलन की रीति रिवाजों , घर परिवार की रहन सहन की आमदनी की पढ़ाई लिखाई की, न कि मांगलिक शनी इत्यादि की ये तो सब ईश्वरीय देन है । इस संबंध में कुछ तथ्य आपके सम्मुख रखना चाहते हैं।
1. दुनिया में कोई घड़ी ऐसी नहीं बनी जो सही हो सिर्फ उस परमपिता परमेश्वरी की वो घड़ी वेला जब बच्चा जन्म लेता है सही है डाक्टर नर्स अस्पताल की घड़ी एक दूसरे से नहीं मिलती । जब तक बच्चे की सूचना परिवार को मिलती है 10-15 मिनट बीत चुके होते हैं। अक्सर बच्चे सिर के पल जन्म लेते हैं, तो जब पहले पहले प्रकट होते हैं, वो घड़ी या सम्पूर्ण रूप से उदर से बाहर आते हैं वो घड़ी कौन सी घड़ी सही मानेंगे और इस प्रक्रिया के चलते क्या डाक्टर नर्स को सय का ध्यान रहता है या नहीं, कई सेकण्डस मिनिट्स का फेर हो जाता है तो सोचिए कौन सी घड़ी सही हुई ? कुछ अंदाज से डाक्टर नर्स समय बता पाते हैं।
2. आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की की है कि आप बच्चे का जन्म अपने मुताबिक दिन घड़ी में करा सकते हैं।
3. बच्चा जब पैदा होता है आप अपने पंडित या समाज के दस भिन्न-भिन्न शहरों के पंडितों से जन्म पत्री बनावाए सबकी जन्म पत्री अलग अलग होगी । जब रिश्ता तय करते वक्त पंडितों को लडक़े लडक़ी की जन्म पत्री का मिलान करवाते हैं तो एक बार कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्री बखूबी मिल रही है और ये भी देखा गया है कि यो ही जन्म पत्रियां कुछ समय बाद मिलाने के लिए ले जाते हैं तो कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्रियां तो मिलान ही नही ंकरती । और कभी कभी तो मिलान करके के लिए नकली जन्म पत्री ही बना देते हैं । ताकि मिलान हो जाए। हम पंडितों की विद्या पर शक नहीं कर रह ेहैं, वे हमारे पूजनी है मगर जो सामने देखते हैं उसको नकारा तो नही ंजा सकता । कई लोगों की जिंदगी में ऐसी घटनाएं घटित हुई होगी।
4. हम हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं और लेख को मानते हैं तो अगर रिश्ता हो रहा है तो प्रभु की मर्जी होगी हम क्यों जन्मपत्री या मंगल शनि को लेकर रिश्ते से इंकार करते हैं । कितने ही लडक़े लड़कियों की जन्म पत्री मिलाकर रिश्ते करते हैं फिर भी तनाव पैदा हो जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है।
ये सब भाग्य का लेखा है उसको कोई मिटा नहीं सकता। कुछ समाजों में जन्म पत्री मिलाते ही नहीं है, कई बच्चे प्रेम विाह भी करते हैं और उनका दाम्पत्य जीवन बहुत सुखमय बीतता है तो वो कौन सी जन्म पत्री मिलाते हैं जो भाग्य में लिखा होता है वो होकर रहता है।
अच्छा ये बताइए कि प्रभु राम की जन्मपत्री किसने बनाई थी मुनिवर श्रेष्ठ मुनि वशिष्ठ जी ने , एक एक पल का हिसाब था फिर जिस पल उनको राजगद्दी मिलनी थी उसी पल बनवास कैसे हुआ, श्रेष्ठ मुनिवर वशिष्ठजी का कहना है कि जन्म कुंडली चल व पल सही थी परंतु जो प्रभु राम के प्रारब्ध में लिखा है कि यानि भाग्य में लिखा है उसकी कोई मिटा नहीं सकता, इसलिए भाईयों बहनों जन्म पत्री ग्रहों, मंगल शनि को छोड़ो ये सब परमात्मा के बनाए हुए हैं और परमात्मा कभी किसी का अहित नही ंकरते हैं । जो भाग्य में लिखा है वह होकर रहता है । ग्रह नौ प्रकार के मानते है ं जिनमें भी राहु केतु ग्रह नहीं है और विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड में आज भी 65 ग्रह है और नित नए ग्रह खोजे जा रहे हैं । इसलियेे ग्रहों, कुंडलियों मांगलिक, शनि आदि के फेर में न पडक़र रिश्ते तय करने के समय बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनका चरित्र व्यवहार, खादनान, प्रेम प्यार, उनका व्यापार, नौकरी, कमाई, इत्यादि देखना चाहिए। और भी अच्छा हो उसके साथ-साथ मेडिकल साइंस के इस युग में मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए । जरूरी है जैसे बैलसीमिया, शूगर, ब्लड प्रेशर, एच.आी.वी., टी.बी. कैसर इत्यादि भयानक रोगों का टेस्ट करवाना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो।
रक्त समूह तय करता है दाम्पत्य जीवन
एवं स्वभाव पर कैसा प्रभाव होगा।
पुरूष महिला जीवन कैसा होगा
1.आर एच (+) आर.एच(-) संतान को खतरा
2. ओ बी दामपत्य जीवन सुखद
3. ओ ओ जीवन तनावपूर्ण
4. बी बी आदर्श युगल
5. बी ए कष्ट एवं तनाव
6. ए ए सुखद जीवन
7. ओ ए तनावपूर्ण
8. ए ओ संघर्षपूर्ण
9. बी एबी आदर्श युगल
10. ए बी बी समझौतापूर्ण
कुण्डलियां नहीं अब ब्लड ग्रुप
भारतीय संस्कृति के मुताबिक अब तक शादी से पहले युवक युवतियों की जन्म कुण्डलियां मिलाई जाती रही है लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बाद अब कुण्डलियां नहीं ब्लड ग्रुप मिलाया जाना चाहिए । जिससे युवक युवतियों की अज्ञात बीमारी का पता चल जाता है वहीं ब्लड ग्रुप के आधार पर उनका दाम्पत्य जीवन कैसा होगा इसका भी पता चल जाता है। कुच ब्लड ग्रुप के मिलान से दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा निम्नलिखित रूप से पेस कर रहे हैं । ये सफर कोई नया नहीं है इसीलिए तो हिन्दू संस्कृति के मुताािबक शादी से पहले चार या अपना गोत्र टाले जाने की परम्परा है इस रिवाज के पीछे भी भुव्कमल रक्त समूह की सोच है ।
दिव्या भोजवानी साभार

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