Monday, November 5, 2012

वन हमारे आर्थिक स्त्रोत और भविष्य

छत्तीसगढ़ सहित देश की आर्थिक व्यवस्था में यहा के हरे-भरे वनों, बेशकीमती वनोपजों और मेहनतकष वनवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। हरे-भरे वनों की जितनी अधिक सुरक्षा की जाएगी और जितना ज्यादा उनका विकास किया जाएगा, उसका उतना ही अधिक फायदा हमारी वर्तमान और भावी पीढि़यों को मिलेगा। हमें वन और आर्थिक संसाधन देने वाले वृक्ष हमारी भारतीय संस्कृति में भगवान की तरह पूजे जाते हैं।छत्तीसगढ़ सहित देश की आर्थिक व्यवस्था में यहा के हरे-भरे वनों, बेशकीमती वनोपजों और मेहनतकश वनवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है।छत्तीसगढ़ राज्य के जंगलों के संरक्षण और विकास के साथ यहां के वनवासियों की आमदनी का प्रमुख साधन बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में किए गए प्रयासों के उत्साहजनक नतीजे सामने आए हैं ,छत्तीसगढ़ के जंगलों में प्रचुर मात्रा में लघु वनोपज पाये जाते हैं ये लघु वनोपज यहां के वनवासियों और गरीब परिवारों की आजीविका के महत्वपूर्ण साधन हैं। यहां के जंगलों में प्रमुख रूप से तेन्दूपत्ता, साल-बीज, हर्रा, बेहड़ा, गोंद, चिरौंजी, आंवला, शहद आदि लघु वनोपज पाये जाते हैं।। राज्य के जंगलों के संरक्षण् और विकास के साथ यहां के वनवासियों की आमदआनी का प्रमुख साधन बनाने के लिए किए गए प्रयासों के उत्साहजनक नतीजे सामने राज्य सरकार द्वारा सीधे संग्राहकों से शहद खरीदा जाता है।  हैं।  छत्तीसगढ़ के जंगलों में प्रचुर मात्रा में लघु वनोपज पाये जाते हैं। यहां लगभग एक सौ साठ प्रकार के लघु वनोपजों का उत्पादन होता है। अनुमान के अनुसार करीब साढ़े आठ सौ करोड़ रुपए का सालाना व्यापार इन लघु वनोपजों के माध्यम से होता है। ये लघु वनोपज यहां के वनवासियों और गरीब परिवारों की आजीविका के महत्वपूर्ण साधन हैं। छत्तीसगढ़ में लाख की खेती यहां के वनवासियों के लिए अतिरिक्त आमदनी के एक प्रमुख जरिया के रुप में उभरकर आयी है।  राज्य में बहुत बड़ी मात्रा में माहुल पत्तों का उत्पादन होता है। पहले यह पत्ता कच्चे स्वरूप में अन्य राज्यों को बेच दिया जाता था। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने की नीयत से राज्य में 20 माहुल पत्ता प्रसंस्करण इकाईयां लगायी गयी हैं। इन केन्द्रों पर स्व-सहायता समूहों द्वारा माहुल पत्ता का उपचार कर मशीनों द्वारा दोना पत्तल का निर्माण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लाख की खेती यहां के वनवासियों के लिए अतिरिक्त आमदनी के एक प्रमुख जरिया के रुप में उभरकर आयी है, साथ ही राज्य सरकार द्वारा सीधे संग्राहकों से शहद खरीदा जाता है,शहद प्रसंस्करण के लिए  बिलासपुर, जशपुर, भानुप्रतापपुर और कवर्धा में चार शहद प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए गए हैं।

1 comment:

Unknown said...

छत्तीसगढ़ राज्य के जंगलों से यहां के वनवासियों की आमदनी का प्रमुख साधन बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह द्वारा किए गए प्रयासों के उत्साहजनक नतीजे मिलने की बधाई

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