सिरपुर के प्रसिध्द लक्ष्मण मंदिर, खुदाई में निकले शिव मंदिर, बौध्द
प्रतिमाओं और जैन प्रतिमाओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है ।सिरपुर
में मिली सिंधु घाटी सभ्यता की सील, दिल्ली सल्तनत और मुगलकालीन सिक्को तथा
खुदाई में मिली एलियन जैसी आकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। पवित्र
महानदी के तट पर बसा सिरपुर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक
विरासत की अनमोल धरा है। प्राचीन काल में यह सिरपुरा के नाम से जाना जाता
था। सिरपुर में जब पुरातत्व विभाग ने खुदाई प्रारंभ की गयी तो पुरा संपदा
का एक अद्भुत खजाना सामने आ गया। राजा के महल से लेकर शिव मंदिरों की कभी न
खत्म होने वाली श्रृंखला, बौद्व विहार, जैन विहार, समाज के सभी वर्गो के
निवासियों के लिए बनाये गये सुरूचिपूर्ण आवास और इनके जैसी अनेक संपदा
छत्तीसगढ़ की इस समृध्द धरा के गर्भ से बाहर आ गयी। अवशेषों से यह भी पता
चला की इस दौरान सिरपुर की ख्याति विश्व के सबसे बड़े व्यापार केन्द्र के
रूप में भी थी। अशोक स्तुप, खाद्यान्न के भंडारण की व्यवस्था और आर्युवेदिक
स्नान कुंड आदि के अवशेष इसकी पुष्टि करते हैं। राजा त्रिवरदेव के समय से
महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासन काल तक सिरपुर का राजनैतिक, आर्थिक और
सांस्कृतिक वैभव अपने चरम पर था तथा समाज के सभी वर्गो के लोग सम्पन्नता के
साथ जीवन यापन कर रहे थे। सिरपुर में बने अधिकांश मंदिर, भवन, विहार आदि
इसी दौरान बनाये गये। इस दौरान सिरपुर में 100 संघाराम में 10 हजार भिक्षुक
अध्ययन करते थे। तत्कालीन राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन शैव थे लेकिन उनके
शासन काल में बौद्व, जैन और वैष्णव धर्म तेजी से फल फूल रहे थे। यह धार्मिक
सहिष्णुता का विलक्षण उदाहरण था। सिरपुर में चल रहे उत्खनन में अब तक 17
शिव मंदिर, 8 बौध्द विहार , तीन जैन विहार, एक राजमहल, पुजारियों के आवास
और विस्तृत व्यवसाय केन्द्र के अवशेष मिले है ।
Saturday, March 2, 2013
सिरपुर में मिली सिंधु घाटी सभ्यता
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Posted by
Ajay Tripathi
at
8:29 PM
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