Saturday, September 27, 2014
शक्ति स्वरूपा जगत जननी का पर्व नवरात्र
देवी भगवती माँ अम्बे काली दुर्गा
शक्ति स्वरूपा जगत जननी जेसे नामो से पूजी जाने वाली माँ के नो दिनों के उपासना का पर्व नवरात्री प्रारंभ हो गया माँ के नो दिनों में नो रूपों की पूजा उपासना की जाती है शक्ति प्राप्त करने साधना सिद्ध करने यह काल बहुत ही महत्व पूर्ण है सभी भको को उनकी साधना का फल मिले यही वंदना करते है
शक्ति स्वरूपा जगत जननी जेसे नामो से पूजी जाने वाली माँ के नो दिनों के उपासना का पर्व नवरात्री प्रारंभ हो गया माँ के नो दिनों में नो रूपों की पूजा उपासना की जाती है शक्ति प्राप्त करने साधना सिद्ध करने यह काल बहुत ही महत्व पूर्ण है सभी भको को उनकी साधना का फल मिले यही वंदना करते है
Monday, October 14, 2013
रोता बिलखता छोड़ गया
आज एक और नोजवान होनहार की मृत्यु ह्रदय घात से होगई ,इस समय जो भागम - भाग की जिंदगी होती जा रही है वो कितनी खतरनाक हो रही है इसका थोडा अंदाज लगाये और देश समाज के चिन्तक व्यवस्था बनाने विचार दे हम अपने बच्चों को अच्छी पढाई के लिए बाहर भेज रहे है फिर वे बाहर ही नोकरी कर रहे है खान पान ,रहन सहन से प्रभावित होता ब्रह्मन्तव पर अभी पिचले दिनों हमने चिंतन किया था .............
आज हमारे साथी भाई धनजय त्रिपाठी के भतीजे २६ वर्षीय पुना में कार्यरत अचिन की आकाल मृत्यु हो गयी ,इस घटना ने हिला कर रख दिया है उनके माता पिता ,डॉ अखिलेश त्रिपाठी,MBBS चिकित्सक ,श्रीमती उषा लता प्रोफेसर है जिनका तराशा हुआ हीरा आज इन्हे रोता बिलखता छोड़ गया
विप्र वार्ता परिवार के साथी संपादक धनजय त्रिपाठी के भतीजे चि अचिन का आकस्मिक निधन पूना में हो गया,अचिन समग्र ब्राह्मण प्रांतीय महासभा के जिला सयोजक डॉ अखिलेश त्रिपाठी के पुत्र है समता कॉलोनी निवासी अचिन त्रिपाठी का १४ अक्टूबर को पुणे में हृदयाघात से निधन हो गया। वे २६ वर्ष के थे। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. मोतीलाल त्रिपाठी के पौत्र, स्वास्थ्य संचालनालय में कार्यरत डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डीएड कॉलेज में कार्यरत उषालता त्रिपाठी के पुत्र एवं अश्विन के छोटे भाई तथा परिवहन आयुक्त कार्यालय में कार्यरत राजेश त्रिपाठी, बीमा अभिकर्ता धनंजय त्रिपाठी एवं पत्रकार संजीत त्रिपाठी के भतीजे थे।
भगवान की मर्जी के सामने हम नत मस्तक है ,ईश्वर अपने चरणों में स्थान दे एवम हम सभी यह अघात सहने की शक्ति प्रदान करे
ॐ शांती .........................
आज हमारे साथी भाई धनजय त्रिपाठी के भतीजे २६ वर्षीय पुना में कार्यरत अचिन की आकाल मृत्यु हो गयी ,इस घटना ने हिला कर रख दिया है उनके माता पिता ,डॉ अखिलेश त्रिपाठी,MBBS चिकित्सक ,श्रीमती उषा लता प्रोफेसर है जिनका तराशा हुआ हीरा आज इन्हे रोता बिलखता छोड़ गया
विप्र वार्ता परिवार के साथी संपादक धनजय त्रिपाठी के भतीजे चि अचिन का आकस्मिक निधन पूना में हो गया,अचिन समग्र ब्राह्मण प्रांतीय महासभा के जिला सयोजक डॉ अखिलेश त्रिपाठी के पुत्र है समता कॉलोनी निवासी अचिन त्रिपाठी का १४ अक्टूबर को पुणे में हृदयाघात से निधन हो गया। वे २६ वर्ष के थे। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. मोतीलाल त्रिपाठी के पौत्र, स्वास्थ्य संचालनालय में कार्यरत डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डीएड कॉलेज में कार्यरत उषालता त्रिपाठी के पुत्र एवं अश्विन के छोटे भाई तथा परिवहन आयुक्त कार्यालय में कार्यरत राजेश त्रिपाठी, बीमा अभिकर्ता धनंजय त्रिपाठी एवं पत्रकार संजीत त्रिपाठी के भतीजे थे।
भगवान की मर्जी के सामने हम नत मस्तक है ,ईश्वर अपने चरणों में स्थान दे एवम हम सभी यह अघात सहने की शक्ति प्रदान करे
ॐ शांती .........................
Thursday, August 29, 2013
नामधारी इस चुनाव में धाराशाही
छत्तीसगढ़ में चुनाव का बुखार चढ़ गया है सभी राजनेतिक पार्टियाविधान सभा छेत्रो में अपने उस्ताद चुनने की कवायत में लगी है ,चुनाव आयोग व्यवस्ता बनाने में जूता है ,कांग्रेस और भा ज पा के बीच मुख्य लड़ाई होना है पर तीसरे मोर्चे में राष्ट्रवादी कांग्रेस ,बहुजन समाज ,स्वाभिमानी मंच ,कम्युनिस्ट पार्टिया के साथ चर्चा है की इस बार नक्सल प्रभावित छेत्र में नक्सल समर्थक भी अलग मैदान में आ सकते है ,
अजित जोगी के प्रभा मंडल में फसी कांग्रेस में उनके खिलाफ हल्ला करने वालो की कमी नहीं है पर उनकी बराबरी तो छोड़ उनके आस पास तक कोई अपने कार्यो से अपनी पहुचान साबित नहीं कर पर रहा है जोगी की मेहनत को जाने वाले बताते है की उनका कोई सानी नहीं ,सुबह से फ़ोन पर बात फिर गरीबो से मुलाकात उनकी कठनाइयो के लिए पत्र लिखना फ़ोन करना से लेकर प्रदेश के दुरस्त अंचल तक कार्यक्रम लेना ,बनाना ,और उसकी तैयारी करना ,करवाना तक शामिल है ,
कांग्रेस में जोगी फेक्टर ,और भाजपा में रमन फेक्टर एनसीपी में जग्गी ,स्वाभिमान मंच में साहू फेक्टर से पार्टिया उबार नहीं प् रही है
भाजपा को दस साल की सरकार ने बोरा दिया है डॉ साहब को सरकारी तंत्र तो विज्ञापनों की होड़ से बाहर ही नहीं आने दे रहा है वो ऐसा दिखा रहा है की भाजपा - याने डॉ रमण ,और डॉ रमण याने भाजपा हो गए है जबकि जनता त्रस्त है - नेता मस्त है, चाहे वो कांग्रेस का हो या .............
जनता के पास पाच साल में एक मोका आता है वो कांग्रेस को देना चाह रही है ,लेकिन कांग्रेसी भी डॉ साहब की सवारी में औरएस समय देश में चल रहे नए राजनेतिक बन्दर बाट में अपने आपको सुरक्चित मान कर मेहनत की कमाई नहीं खाना चाह रहे है
कुल मिला कर यह कहे तो अति- शियोक्ति नहीं होगी की सभी दल के नेता दल -दल में है और वो निचेवालो याने छोटे कर्यकर्तायो से दुरी रख मस्त रहना चाहते है लेकीन ऐसा लगता है की जनता ने टान लिया है की इन नेतायो को सबक सिखाना है, देखना ये सब नामधारी इस चुनाव में धाराशाही होने वाले है
अजित जोगी के प्रभा मंडल में फसी कांग्रेस में उनके खिलाफ हल्ला करने वालो की कमी नहीं है पर उनकी बराबरी तो छोड़ उनके आस पास तक कोई अपने कार्यो से अपनी पहुचान साबित नहीं कर पर रहा है जोगी की मेहनत को जाने वाले बताते है की उनका कोई सानी नहीं ,सुबह से फ़ोन पर बात फिर गरीबो से मुलाकात उनकी कठनाइयो के लिए पत्र लिखना फ़ोन करना से लेकर प्रदेश के दुरस्त अंचल तक कार्यक्रम लेना ,बनाना ,और उसकी तैयारी करना ,करवाना तक शामिल है ,
कांग्रेस में जोगी फेक्टर ,और भाजपा में रमन फेक्टर एनसीपी में जग्गी ,स्वाभिमान मंच में साहू फेक्टर से पार्टिया उबार नहीं प् रही है
भाजपा को दस साल की सरकार ने बोरा दिया है डॉ साहब को सरकारी तंत्र तो विज्ञापनों की होड़ से बाहर ही नहीं आने दे रहा है वो ऐसा दिखा रहा है की भाजपा - याने डॉ रमण ,और डॉ रमण याने भाजपा हो गए है जबकि जनता त्रस्त है - नेता मस्त है, चाहे वो कांग्रेस का हो या .............
जनता के पास पाच साल में एक मोका आता है वो कांग्रेस को देना चाह रही है ,लेकिन कांग्रेसी भी डॉ साहब की सवारी में औरएस समय देश में चल रहे नए राजनेतिक बन्दर बाट में अपने आपको सुरक्चित मान कर मेहनत की कमाई नहीं खाना चाह रहे है
कुल मिला कर यह कहे तो अति- शियोक्ति नहीं होगी की सभी दल के नेता दल -दल में है और वो निचेवालो याने छोटे कर्यकर्तायो से दुरी रख मस्त रहना चाहते है लेकीन ऐसा लगता है की जनता ने टान लिया है की इन नेतायो को सबक सिखाना है, देखना ये सब नामधारी इस चुनाव में धाराशाही होने वाले है
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Tuesday, August 27, 2013
दोस्ती की मिशाल था मुकेश ..................
भाई मुकेश सीधा सरल इमानदार और समय का पाबंद था विप्र वार्ता की टीम का सबसे स्मार्ट नवजवान साथी को काल ने हमसे छीन लिया किसी भी काम को यदि उसे सोपा जाता वह बिलकुल समय पर उसे अंजाम दे देता ,जिस समय उसे आने कहो वह हाजिर रहता ,अभी अभी एक वर्ष पूर्व जब भाई अनुराग मिश्र ने अपना नया मकान बनाना शुरू किया तो उन्होने अस्थायी लाइट कनेक्सन का काम मुकेश को दिया, मुकेश उसे तत्परता से पूरा करा दिया,जब रिनिवल का समय आया तो मुकेश बिस्तर से चिपक लिया थे इस परिस्थिति में उचित सलाह के साथ उचित व्यक्ति का नाम बता कर अपने रिफरेन्स से काम करवाने कहा ,अनुराग के बताया की उस व्यक्ति ने पुरे सम्मान से तत्काल सहयोग कर काम करवा दिया ,ये था उनका व्यवहार जो उन्होंने कमाया था ,अपने अल्प जीवन में मुकेश ने पुरे मनोयोग से काम किये, मित्र एवं छोटे भाई धनजय त्रिपाठी के माध्यम से मुकेश और मेरा परिचय हुआ तो ऐसा की वो हम दोनो बीच सेतु काम करते थे ,आपस में इतनी आपसी समझ थी की दोनों और वह बेलेन्स कर लिया करते थे,
किसी ने भी नहीं सोचा था की भाई शेलेन्द्र के बाद दूसरा यह आघात इतनी जल्दी हम लोगो को लग जायेगा जब प्रारम्भ में गले और पेट में जलन की समस्या सामने आयी तो यह लगा ही नहीं, यह तो एकदम साधारण बात थी,उसके बाद भी जब मुंबई से इलाज करवा कर लोटे तभ भी अपने आसपास के जानकर डाक्टरों ने बड़ी ही सहजता से स्वस्थ होने की सम्भावना व्यक्त की थी और ऐसा लग भी रहा था,लेकिन भगवान को भी जेसे अच्छे लोगो की जरुरत थी की वे भाई मुकेश को ले गए
मकेश हम मित्रो के बीच अपने बड़े भाई राकेस,पत्नी मंजू पुत्र बिट्टू सिब्बू एवं छत्तीसगढ़ी फिल्मो के जानेमाने अभिनेता अनुज शर्मा सेल को छोड़ गए
भाई मुकेश का जाना विप्र वार्ता के लिए एक अपूर्णीय छति है जिसकी भरपाई जीवन भर संभव नहीं हो सकती उनका व्यव्हार,इमानदार,छबी,कार्यनिष्ठा,समय पाबन्दी हमारे लिए प्रेरणा दायी बनी रहेगी ॐ शांति ..............
किसी ने भी नहीं सोचा था की भाई शेलेन्द्र के बाद दूसरा यह आघात इतनी जल्दी हम लोगो को लग जायेगा जब प्रारम्भ में गले और पेट में जलन की समस्या सामने आयी तो यह लगा ही नहीं, यह तो एकदम साधारण बात थी,उसके बाद भी जब मुंबई से इलाज करवा कर लोटे तभ भी अपने आसपास के जानकर डाक्टरों ने बड़ी ही सहजता से स्वस्थ होने की सम्भावना व्यक्त की थी और ऐसा लग भी रहा था,लेकिन भगवान को भी जेसे अच्छे लोगो की जरुरत थी की वे भाई मुकेश को ले गए
मकेश हम मित्रो के बीच अपने बड़े भाई राकेस,पत्नी मंजू पुत्र बिट्टू सिब्बू एवं छत्तीसगढ़ी फिल्मो के जानेमाने अभिनेता अनुज शर्मा सेल को छोड़ गए
भाई मुकेश का जाना विप्र वार्ता के लिए एक अपूर्णीय छति है जिसकी भरपाई जीवन भर संभव नहीं हो सकती उनका व्यव्हार,इमानदार,छबी,कार्यनिष्ठा,समय पाबन्दी हमारे लिए प्रेरणा दायी बनी रहेगी ॐ शांति ..............
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Friday, July 26, 2013
शहीद योगेन्द्र शर्मा दोस्ती की मिशाल
योगेन्द्र शर्मा एक वह नाम जो अब शहीद हो गया,छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में गत दिनों घीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में भाई योगेन्द्र शहीद हुए थे रायपुर के पास धरसीवा विधानसभा के प्रमुख दावेदार छात्र नेता योगेन्द्र ग्राम टेकरी के रहने वाले थे रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय से स्नातक वाणिज्य ने अपनी एक अलग पहचान बनायीं थी छात्र नेता के रूप में वे विस्वविद्यालय प्रतिनिधि U.R. निर्वाचित हुए थे , धरसीवा छेत्र से दो बार जिला पंचायत का भी चुनाव लड़ऐ,और भारी मतों से जीते भी ,जनता के कार्यो के करने और दोस्तों के लिए जान छिडकने के लिए वो मशहूर थे ,उनकी दोस्ती की कई मिशाले है शहादत के पहले वे इस
बार विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे सदेव सामाजिक कार्यो रूचि ले कर सहयोग और प्रेरित करते थे,शहीद योगेन्द्र की पत्नी श्रीमती अनीता पुत्री नेहा और पुत्र हर्षित को वे अकेला छोड़ अमर हो गये
राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने आज यहां रायपुर जिले के धरसींवा विकासखंड के ग्राम टेकारी पंहुचे, जहां उन्होंने विगत 25 मई को बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में नक्सली हमले में मारे गये टेकारी निवासी श्री योगेन्द्र शर्मा के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढ़ाढ़स बंधाते हुए सांत्वना दी। राज्यपाल ने सबसे पहले उनके बेटे श्री हर्षित और बेटी नेहा शर्मा के सिर पर हाथ रखकर ढ़ाढ़स बंधाया और उनसे कहा कि उनके पिता ने नक्सल हिंसा में अपनी शहादत दी है। उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा।
राज्यपाल ने श्री योगेन्द्र शर्मा की माता श्रीमती गोदवरी, पत्नी श्रीमती अनिता शर्मा, बड़े भाई सर्वश्री ओमप्रकाश एवं महेश शर्मा से भी मिलकर उन्हें भी सांत्वना प्रदान की। श्री योगेन्द्र शर्मा के बेटे ने राज्यपाल को बताया कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है तथा बेटी नेहा शर्मा ने बताया कि कक्षा 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस अवसर पर राज्यपाल ने श्री योगेन्द्र शर्मा के चित्र पर पुष्प अर्पित किया
बार विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे सदेव सामाजिक कार्यो रूचि ले कर सहयोग और प्रेरित करते थे,शहीद योगेन्द्र की पत्नी श्रीमती अनीता पुत्री नेहा और पुत्र हर्षित को वे अकेला छोड़ अमर हो गये
राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने आज यहां रायपुर जिले के धरसींवा विकासखंड के ग्राम टेकारी पंहुचे, जहां उन्होंने विगत 25 मई को बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में नक्सली हमले में मारे गये टेकारी निवासी श्री योगेन्द्र शर्मा के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढ़ाढ़स बंधाते हुए सांत्वना दी। राज्यपाल ने सबसे पहले उनके बेटे श्री हर्षित और बेटी नेहा शर्मा के सिर पर हाथ रखकर ढ़ाढ़स बंधाया और उनसे कहा कि उनके पिता ने नक्सल हिंसा में अपनी शहादत दी है। उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा।
राज्यपाल ने श्री योगेन्द्र शर्मा की माता श्रीमती गोदवरी, पत्नी श्रीमती अनिता शर्मा, बड़े भाई सर्वश्री ओमप्रकाश एवं महेश शर्मा से भी मिलकर उन्हें भी सांत्वना प्रदान की। श्री योगेन्द्र शर्मा के बेटे ने राज्यपाल को बताया कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है तथा बेटी नेहा शर्मा ने बताया कि कक्षा 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस अवसर पर राज्यपाल ने श्री योगेन्द्र शर्मा के चित्र पर पुष्प अर्पित किया
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Tuesday, March 5, 2013
सुयोग्य रिश्ता मिलने में ब्लड ग्रुप मिलायें
हिन्दुस्तान
में रहने वाले समस्त समाज के सामने एक प्रमुक समस्या है अपनी औलाद के लिए
सुयोग्य रिश्ते की और सुयोग्य रिश्ता मिलने में प्रमुख समस्या है। जन्म
कुंडली का मिलान करना। जन्म कुंडली के चक्कर में अच्छे अच्छे रिश्ते हाथ से
निकल जाते हैं । सुयोग्य सुन्दर, सुशील लडक़े लड़कियां एक दूसरे को पसंद
करते हुए बी, खानदान एक दूसरे को पसंद करते हुए भी, रिशेत नहीं हो पाते है
सिर्फ जन्म कुंडली के चक्कर में भाईयों बहिनों अगर जांच करवानी ही है तो
उनके चाल चलन की रीति रिवाजों , घर परिवार की रहन सहन की आमदनी की पढ़ाई
लिखाई की, न कि मांगलिक शनी इत्यादि की ये तो सब ईश्वरीय देन है । इस संबंध
में कुछ तथ्य आपके सम्मुख रखना चाहते हैं।
1. दुनिया में कोई घड़ी ऐसी नहीं बनी जो सही हो सिर्फ उस परमपिता परमेश्वरी की वो घड़ी वेला जब बच्चा जन्म लेता है सही है डाक्टर नर्स अस्पताल की घड़ी एक दूसरे से नहीं मिलती । जब तक बच्चे की सूचना परिवार को मिलती है 10-15 मिनट बीत चुके होते हैं। अक्सर बच्चे सिर के पल जन्म लेते हैं, तो जब पहले पहले प्रकट होते हैं, वो घड़ी या सम्पूर्ण रूप से उदर से बाहर आते हैं वो घड़ी कौन सी घड़ी सही मानेंगे और इस प्रक्रिया के चलते क्या डाक्टर नर्स को सय का ध्यान रहता है या नहीं, कई सेकण्डस मिनिट्स का फेर हो जाता है तो सोचिए कौन सी घड़ी सही हुई ? कुछ अंदाज से डाक्टर नर्स समय बता पाते हैं।
2. आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की की है कि आप बच्चे का जन्म अपने मुताबिक दिन घड़ी में करा सकते हैं।
3. बच्चा जब पैदा होता है आप अपने पंडित या समाज के दस भिन्न-भिन्न शहरों के पंडितों से जन्म पत्री बनावाए सबकी जन्म पत्री अलग अलग होगी । जब रिश्ता तय करते वक्त पंडितों को लडक़े लडक़ी की जन्म पत्री का मिलान करवाते हैं तो एक बार कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्री बखूबी मिल रही है और ये भी देखा गया है कि यो ही जन्म पत्रियां कुछ समय बाद मिलाने के लिए ले जाते हैं तो कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्रियां तो मिलान ही नही ंकरती । और कभी कभी तो मिलान करके के लिए नकली जन्म पत्री ही बना देते हैं । ताकि मिलान हो जाए। हम पंडितों की विद्या पर शक नहीं कर रह ेहैं, वे हमारे पूजनी है मगर जो सामने देखते हैं उसको नकारा तो नही ंजा सकता । कई लोगों की जिंदगी में ऐसी घटनाएं घटित हुई होगी।
4. हम हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं और लेख को मानते हैं तो अगर रिश्ता हो रहा है तो प्रभु की मर्जी होगी हम क्यों जन्मपत्री या मंगल शनि को लेकर रिश्ते से इंकार करते हैं । कितने ही लडक़े लड़कियों की जन्म पत्री मिलाकर रिश्ते करते हैं फिर भी तनाव पैदा हो जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है।
ये सब भाग्य का लेखा है उसको कोई मिटा नहीं सकता। कुछ समाजों में जन्म पत्री मिलाते ही नहीं है, कई बच्चे प्रेम विाह भी करते हैं और उनका दाम्पत्य जीवन बहुत सुखमय बीतता है तो वो कौन सी जन्म पत्री मिलाते हैं जो भाग्य में लिखा होता है वो होकर रहता है।
अच्छा ये बताइए कि प्रभु राम की जन्मपत्री किसने बनाई थी मुनिवर श्रेष्ठ मुनि वशिष्ठ जी ने , एक एक पल का हिसाब था फिर जिस पल उनको राजगद्दी मिलनी थी उसी पल बनवास कैसे हुआ, श्रेष्ठ मुनिवर वशिष्ठजी का कहना है कि जन्म कुंडली चल व पल सही थी परंतु जो प्रभु राम के प्रारब्ध में लिखा है कि यानि भाग्य में लिखा है उसकी कोई मिटा नहीं सकता, इसलिए भाईयों बहनों जन्म पत्री ग्रहों, मंगल शनि को छोड़ो ये सब परमात्मा के बनाए हुए हैं और परमात्मा कभी किसी का अहित नही ंकरते हैं । जो भाग्य में लिखा है वह होकर रहता है । ग्रह नौ प्रकार के मानते है ं जिनमें भी राहु केतु ग्रह नहीं है और विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड में आज भी 65 ग्रह है और नित नए ग्रह खोजे जा रहे हैं । इसलियेे ग्रहों, कुंडलियों मांगलिक, शनि आदि के फेर में न पडक़र रिश्ते तय करने के समय बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनका चरित्र व्यवहार, खादनान, प्रेम प्यार, उनका व्यापार, नौकरी, कमाई, इत्यादि देखना चाहिए। और भी अच्छा हो उसके साथ-साथ मेडिकल साइंस के इस युग में मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए । जरूरी है जैसे बैलसीमिया, शूगर, ब्लड प्रेशर, एच.आी.वी., टी.बी. कैसर इत्यादि भयानक रोगों का टेस्ट करवाना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो।
रक्त समूह तय करता है दाम्पत्य जीवन
एवं स्वभाव पर कैसा प्रभाव होगा।
पुरूष महिला जीवन कैसा होगा
1.आर एच (+) आर.एच(-) संतान को खतरा
2. ओ बी दामपत्य जीवन सुखद
3. ओ ओ जीवन तनावपूर्ण
4. बी बी आदर्श युगल
5. बी ए कष्ट एवं तनाव
6. ए ए सुखद जीवन
7. ओ ए तनावपूर्ण
8. ए ओ संघर्षपूर्ण
9. बी एबी आदर्श युगल
10. ए बी बी समझौतापूर्ण
कुण्डलियां नहीं अब ब्लड ग्रुप
भारतीय संस्कृति के मुताबिक अब तक शादी से पहले युवक युवतियों की जन्म कुण्डलियां मिलाई जाती रही है लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बाद अब कुण्डलियां नहीं ब्लड ग्रुप मिलाया जाना चाहिए । जिससे युवक युवतियों की अज्ञात बीमारी का पता चल जाता है वहीं ब्लड ग्रुप के आधार पर उनका दाम्पत्य जीवन कैसा होगा इसका भी पता चल जाता है। कुच ब्लड ग्रुप के मिलान से दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा निम्नलिखित रूप से पेस कर रहे हैं । ये सफर कोई नया नहीं है इसीलिए तो हिन्दू संस्कृति के मुताािबक शादी से पहले चार या अपना गोत्र टाले जाने की परम्परा है इस रिवाज के पीछे भी भुव्कमल रक्त समूह की सोच है ।
दिव्या भोजवानी साभार
1. दुनिया में कोई घड़ी ऐसी नहीं बनी जो सही हो सिर्फ उस परमपिता परमेश्वरी की वो घड़ी वेला जब बच्चा जन्म लेता है सही है डाक्टर नर्स अस्पताल की घड़ी एक दूसरे से नहीं मिलती । जब तक बच्चे की सूचना परिवार को मिलती है 10-15 मिनट बीत चुके होते हैं। अक्सर बच्चे सिर के पल जन्म लेते हैं, तो जब पहले पहले प्रकट होते हैं, वो घड़ी या सम्पूर्ण रूप से उदर से बाहर आते हैं वो घड़ी कौन सी घड़ी सही मानेंगे और इस प्रक्रिया के चलते क्या डाक्टर नर्स को सय का ध्यान रहता है या नहीं, कई सेकण्डस मिनिट्स का फेर हो जाता है तो सोचिए कौन सी घड़ी सही हुई ? कुछ अंदाज से डाक्टर नर्स समय बता पाते हैं।
2. आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की की है कि आप बच्चे का जन्म अपने मुताबिक दिन घड़ी में करा सकते हैं।
3. बच्चा जब पैदा होता है आप अपने पंडित या समाज के दस भिन्न-भिन्न शहरों के पंडितों से जन्म पत्री बनावाए सबकी जन्म पत्री अलग अलग होगी । जब रिश्ता तय करते वक्त पंडितों को लडक़े लडक़ी की जन्म पत्री का मिलान करवाते हैं तो एक बार कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्री बखूबी मिल रही है और ये भी देखा गया है कि यो ही जन्म पत्रियां कुछ समय बाद मिलाने के लिए ले जाते हैं तो कहते हुए सुनते हैं कि जन्म पत्रियां तो मिलान ही नही ंकरती । और कभी कभी तो मिलान करके के लिए नकली जन्म पत्री ही बना देते हैं । ताकि मिलान हो जाए। हम पंडितों की विद्या पर शक नहीं कर रह ेहैं, वे हमारे पूजनी है मगर जो सामने देखते हैं उसको नकारा तो नही ंजा सकता । कई लोगों की जिंदगी में ऐसी घटनाएं घटित हुई होगी।
4. हम हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं और लेख को मानते हैं तो अगर रिश्ता हो रहा है तो प्रभु की मर्जी होगी हम क्यों जन्मपत्री या मंगल शनि को लेकर रिश्ते से इंकार करते हैं । कितने ही लडक़े लड़कियों की जन्म पत्री मिलाकर रिश्ते करते हैं फिर भी तनाव पैदा हो जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है।
ये सब भाग्य का लेखा है उसको कोई मिटा नहीं सकता। कुछ समाजों में जन्म पत्री मिलाते ही नहीं है, कई बच्चे प्रेम विाह भी करते हैं और उनका दाम्पत्य जीवन बहुत सुखमय बीतता है तो वो कौन सी जन्म पत्री मिलाते हैं जो भाग्य में लिखा होता है वो होकर रहता है।
अच्छा ये बताइए कि प्रभु राम की जन्मपत्री किसने बनाई थी मुनिवर श्रेष्ठ मुनि वशिष्ठ जी ने , एक एक पल का हिसाब था फिर जिस पल उनको राजगद्दी मिलनी थी उसी पल बनवास कैसे हुआ, श्रेष्ठ मुनिवर वशिष्ठजी का कहना है कि जन्म कुंडली चल व पल सही थी परंतु जो प्रभु राम के प्रारब्ध में लिखा है कि यानि भाग्य में लिखा है उसकी कोई मिटा नहीं सकता, इसलिए भाईयों बहनों जन्म पत्री ग्रहों, मंगल शनि को छोड़ो ये सब परमात्मा के बनाए हुए हैं और परमात्मा कभी किसी का अहित नही ंकरते हैं । जो भाग्य में लिखा है वह होकर रहता है । ग्रह नौ प्रकार के मानते है ं जिनमें भी राहु केतु ग्रह नहीं है और विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड में आज भी 65 ग्रह है और नित नए ग्रह खोजे जा रहे हैं । इसलियेे ग्रहों, कुंडलियों मांगलिक, शनि आदि के फेर में न पडक़र रिश्ते तय करने के समय बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनका चरित्र व्यवहार, खादनान, प्रेम प्यार, उनका व्यापार, नौकरी, कमाई, इत्यादि देखना चाहिए। और भी अच्छा हो उसके साथ-साथ मेडिकल साइंस के इस युग में मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए । जरूरी है जैसे बैलसीमिया, शूगर, ब्लड प्रेशर, एच.आी.वी., टी.बी. कैसर इत्यादि भयानक रोगों का टेस्ट करवाना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो।
रक्त समूह तय करता है दाम्पत्य जीवन
एवं स्वभाव पर कैसा प्रभाव होगा।
पुरूष महिला जीवन कैसा होगा
1.आर एच (+) आर.एच(-) संतान को खतरा
2. ओ बी दामपत्य जीवन सुखद
3. ओ ओ जीवन तनावपूर्ण
4. बी बी आदर्श युगल
5. बी ए कष्ट एवं तनाव
6. ए ए सुखद जीवन
7. ओ ए तनावपूर्ण
8. ए ओ संघर्षपूर्ण
9. बी एबी आदर्श युगल
10. ए बी बी समझौतापूर्ण
कुण्डलियां नहीं अब ब्लड ग्रुप
भारतीय संस्कृति के मुताबिक अब तक शादी से पहले युवक युवतियों की जन्म कुण्डलियां मिलाई जाती रही है लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बाद अब कुण्डलियां नहीं ब्लड ग्रुप मिलाया जाना चाहिए । जिससे युवक युवतियों की अज्ञात बीमारी का पता चल जाता है वहीं ब्लड ग्रुप के आधार पर उनका दाम्पत्य जीवन कैसा होगा इसका भी पता चल जाता है। कुच ब्लड ग्रुप के मिलान से दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा निम्नलिखित रूप से पेस कर रहे हैं । ये सफर कोई नया नहीं है इसीलिए तो हिन्दू संस्कृति के मुताािबक शादी से पहले चार या अपना गोत्र टाले जाने की परम्परा है इस रिवाज के पीछे भी भुव्कमल रक्त समूह की सोच है ।
दिव्या भोजवानी साभार
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