कुंभ का अवसर चल रहा है और भारत के हिन्दू धर्म अवलंबी बड़ी संया में गंगा में स्नान कर अपने पापों को धे रहे हैं पवित्र बन रहे हैं । इस गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाने वाली सरकार अब तक लाखों बल्कि अरबों रुपये गंगा में खर्च चुकी है । गंगा जितने लोगों के पापो को धोकर मैली होती है उतनी ही अपवित्र होती जाती है । अब तो ये पतित पावन गंगा इतनी मैली हो चुकी है कि अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी इसे साफ नहीं किया जा सका है । क्योंकि पूरे गंगा क्षेत्र में पड़ने वाले नगरों का गंदा पानी प्रदूषित सामग्री इस गंगा में प्रवाहित कर इसे वही हिन्दू धर्म अवलंबी मैली करने आतुर हैं ।
गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये अब तक कुल 1670 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं । इसके बाद भी यही गंगा लगातार प्रदूषित होती जा रही है । गंगा नदी को साफ करने की दिशा में पहला प्रयास राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ था तब उन्होंने गंगा एक्शन प्लान शुरू किया था । इस महत्वाकांक्षी योजना को अमल में लाने केलिए सेन्ट्रल गंगा अथाािरटी नामक एजेन्सी का गठन किया गया । इस योजना का उद्देश्य गंगा नदी में आने वाले प्रदूषण को रोककर शुध्द करना था । यह योजना प्र्रारंभ करने की घोषणा के बाद दूसरे चरण में गंगा की सहायक नदियां यमुना, गोमती और दामोदर नदियों को शुध्द करने का अभियान शुरू किया गया । 1994 में केन्द्र सरकार ने देश की सभी नदियों को प्रदूषणमुक्त करने के लिए नेशनल रिवर कंजर्वेशन अथारिटी की स्थापना की । इसके लिए 4064 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की गई। इस पूरे प्रकरण पर भारत सरकार के कंट्रोलर एंड ओडियर जनरल (सीएजी) ने 1993-2000 के दौरान हुए भ्रष्टाचार पर अपनी बेरूखी प्रकट की थी ।
गंगा नदी में दिल्ली शहर का गंदा पानी प्रतिदिन प्रवाहित होता है, सेन्ट्रल पालुशन बोर्ड के अतिरिक्त डायरेक्टर श्री आर.सी. त्रिवेदी के अनुसार रोज 330 करोड़ लीटर गंदा पानी पैदा होता है इसमें से केवल 150 करोड़ लीटर का ही शुध्दिकरण हो पाता है। शेष 180 करोड़ लीटर पानी बिना किसी शुध्दिकरण के यमुना नदी में छोड़ दिया जाता है । यही पानी आगे चलकर गंगा नदी में मिल जाता है ।
अब तक गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भारत की सरकारों ने 1670 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी हैं लेकिन हासिल आये शुन्य की परिभाषा में गंगा मैली की मैली बनी हुई है । भारत के हिन्दू धर्मावबियों को उनके हिन्दू गुरूओं के द्वारा जब तक इस दिशा में जागरूक करने का कार्य नहीं किया जायेगा तब तक यह संभव नहीं होता प्रतीत होता है । एक गंगा का क्षेत्र ही सैकड़ों शहरों , कस्बों को जोड़ता है और उसकी सहयोगी नदी नालों के साथ नालियों की गणना की जाये तो यह एक बहुत बड़ा आकड़ा बन जाता है । इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए सरकारों को धर्मगुरूओं के संरक्षण में कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है ।
Saturday, February 13, 2010
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3 comments:
ganga par chinta jayaj
gaga maiya ki jai sub bhakti ki jai
ajay jee, wakai achha laga ki hum aap jaise log iski chinta karne lage hain. mujhe lagta hai ki iske liye aam logon me jaagrukta ki zarurat hai. ganga na sirf ek nadi hai balki ye humari shradhha aur sanskar ka prateek hai,iska nirmal rahna behad zaruri hai. wakai aapki chinta bilkul sahi hai aur post bhi badhiya hai.
katya
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