Monday, August 30, 2010

बिहार में जाति-विकास में होड़

लालू को पिछडो का कांग्रेस, नितीश ब्राहमण को साथ लेने की ओर
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बिहार में ऊंची जाति के किसी नेता का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल दिख रहा है। वो सवर्णो को अपनी ओर लुभाने की कोशिशें में १०%आरक्षण देने की घोषणा कर दी हैं।एक पत्र वार्ता में लालू ने शान से कहा की ‘यह मेरी देन है कि बिहार में सवर्णो को मुख्यमंत्री बनाने की अब कोई हिम्मत नहीं करता।’
लोकसभा चुनावों में हार के बाद सवर्ण वोट बैंक एवम पिछड़े व दलित वोट बेंको पर नजर गड़ाए लालू ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो के लिए सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण का चारा भी फेंक दिया। स्वयं को यादव मुस्लीम पिछडो का नेता मानने वाले लालू दलित नेता रामविलास पासवान के कंधे पर सवार हो कर बिहार विधान सभा की गद्दी हतियाना चाहते है ,नीतीश कुमार सरकार पर सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए लालू अपने शासन कल के चारा घोटाले सहित विभिन्न भ्रटाचार को भूल रहे है राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और लोजपा के पासवान आपस में मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री ,पद राजद-लोजपा गठबंधन में आपस में बाट ली है ,पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है दोनों दल लोकसभा में हार का मुह देख चुके है जातीवादी राजनीती पर विकास की लडाई चल रही है कांग्रेस अपने बल बूते चुनाव में उतरने की तैयारी में है राहुल गाँधी ने पिछले दिनों बिहार दौर में नितीश कुमार की तारीफ कर एक नया समीकरण की और इशारा कर भाजपा को दुविधा में दल दिया था
बिहार की राजनीती के जानकार और इतिहास बिहार की राजनीती को उतरप्रदेश की तरह बिना ब्राहमणों के बिना अधुरा मानते है यहाँ के मतदान की चर्चा पुरे देश की जाती रही है बूथों की लूट एक आम विषय रहता था ,अशांति और विकास एक दुसरे विपरीत ध्रुव है, बिना शांति भाई चारे सद्भावना के विकास संभव नहीं होता है , आने वाला चुनाव लालू पासवान की जोड़ी को ओर जोर से झटका दे वाला होगा , अगर काग्रेस मजबूती से सभी को जोड़ पाए तो ,उ. प. ,बिहार में कांग्रेस की वापसी होती नजर आ रही है

1 comment:

मनोज कुमार said...

विश्लेषण अच्छा लगा।

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