Thursday, August 19, 2010

दोहरे धर्म, राजनीती,बराक हुसैन ओबामा

अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ईसाई है या मुस्लमान इस बात की बहस लम्बे समय से जारी है आने वाले चुनाव को देख फिर ये मुद्दा बन रहा है अभी एक ताजे सर्वे में फिर ओमाबा की धार्मिकता का सवाल आया है वेसे ओमाबा लोगों की आर्थिक परेशानियों को दूर करने में जुटे हैं . दोहरे धर्म संकट का यह पहला मामला नहीं है लेकिन जनता और राजनीतिज्ञों को यह चर्चा करने में आनंद आता है धर्म निहायत ही व्यक्तिगत मामला है लेकिन राजनीती में धर्म वोटो का खजाना है भारत में भी बहुतेरे नेता केवल इसी आधार पर राजनीती के सत्ता के केंद्र में आ जाते है चाहे सोनिया गाँधी हो ,या मनमोहन सिंह ,राहुल गाँधी , राजनाथ सिंह चर्चाये आम होती है की फलाना व्यक्ति इस आधार पर उसके किचन एंट्री में है
मशहूर पत्रिका टाइम के ताज़ा सर्वे के मुताबिक देश के 24 फीसदी लोग मानते हैं कि ओबामा मुस्लिम हैं. टाइम ने ये सर्वे ओबामा के ग्राउंड ज़ीरो के पास मस्जिद बनाने का कथित तौर पर समर्थन करने के बाद किया है. दूसरा सर्वे पीऊ रिसर्च सेंटर ने किया है जिसमें ओबामा को मुस्लिम मानने वाले अमेरिकियों की संख्या 18 फीसदी बताई गई है.पीऊ ने पिछले साल भी ये सर्वे किया था तब 11 फीसदी लोगों ने ही ओबामा को मुस्लिम माना था. हालांकि व्हाइट हाउस से जारी बयान में ओबामा को पूरी तरह से ईसाई बताया गया है. एक मुस्लिम पिता और अधार्मिक विचारों वाली मां की संतान ओबामा ने युवा होने के साथ ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया. वैसे पिता की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति का पूरा नाम बराक हुसैन ओबामा है. धार्मिकता का सवाल आया इस लिए आया है क्योंकि एक तिहाई अमेरिकी मानते हैं कि इस्लाम धर्म मानने वालों को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने और सुप्रीम कोर्ट में काम करने पर रोक लगनी चाहिए.
2009 के मार्च में जब सर्वे हुआ तो ओबामा को ईसाई मानने वाले डेमोक्रेट्स की तादाद 55 फीसदी थी. टाइम के सर्वे में 47 फीसदी लोगों ने ओबामा को ईसाई माना है जबकि 24 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्हें नहीं पता की ओबामा किस धर्म को मानते हैं.

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