Tuesday, August 3, 2010

अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा का बयान भारत के लिए शुभ संकेत

अमेरिका को आर्थिक मंदी से उबरने और अपने प्रतिस्पधियो को पीछे धकेलने की योजना के तहत अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका कंपनियों को भारत और चीन से आउटसोर्सिग न करने की सलाह दे दी है ! इसके पीछे स्थानीय राजनीति भी है उन्होंने विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले करीब एक दशक की आर्थिक नीतियों से हमारी विकास दर सुस्त रही, आय में गिरावट आई, एक रिकॉर्ड घाटा झेलना प़डा और ऎसी नीतियां मिलीं जिनसे गंभीर वित्तीय संकट उठ ख़डा हुआ।
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिका आर्थिक मंदी से बाहर निकल रहा है। इसमें उनकी आर्थिक नीतियों का योगदान है जिसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि नई नौकरियां और उद्योग भारत और चीन न जाने पाएं।अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा जॉर्जिया, अटलांटा में डेमोक्रेटिक पार्टी के चंदा इकट्ठा करने वाले कार्यक्रम में सोमवार को उन्होंने कहा कि यह जो स्थिति पैदा हुई है वह अचानक नहीं आई। इस आर्थिक संकट की वजह से हमने 80 लाख नौकरियां गंवाई। ओबामा ने कहा, ""वाशिंगटन के 10 साल के आर्थिक एजेंडे के बाद हम यहां आ पहुंचे हैं जो बहुत स्पष्ट है : आपने करो़डपतियों के करों में कटौती कर दी, विशेष हितों के लिए आपने नियमों में कटौती की और आपने काम करने वालों की संख्या में कटौती कर दी।"" अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा का यह कहना भारत को सतर्क करने के लिए काफी होना चाहिए , भारत आज 2050 के मिशन पर कम कर रहा है इसमे यह कहा जा रहा था की आने वाले समय में यूरोप में मानव सकती की कमी होगी , जिसकी भरपाई में हमारे युवा तैयार हो ,ज्यादा से ज्यादा भारतीय इन स्थानों पर पहुचे, अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा का यह कहना की अमेरिका में रोजगार और उद्योग के अवसर आउटसोर्सिग के जरिए चीन और भारत जैसे देशों को न जाएं। आउटसोर्सिग प्रक्रिया में कंपनियां अपना व्यावसायिक कार्य ठेके पर बाहर से न करवाए है। भारत के लिए शुभ संकेत है , हमें अब रोजगार के अवसर भारत में पैदा करने की योजना बनानी चाहिए

2 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

रोजगार की समस्या तो विकसित देशों मे भी विकराल होती जा रही है।
अमेरिका भी इससे अछु्ता नहीं है। आऊट सोर्सिंग भारत और चीन में सस्ते में हो जाती है। इसलिए बाहर के लोग यहां पर काम कराना पसंद करते हैं। बराक ओबामा के कथन का कोई बड़ा फ़र्क नहीं पड़ेगा।

हां! यह आवश्यक है कि भारत में नए रोजगार के स्रोत खुलने चाहिए। नहीं तो बेरोजगारी विस्फ़ोटक रुप ले सकती है।

अच्छी पोस्ट अजय भाई
आप लिखते रहें,हम आपके विचारों से अवगत होते रहेंगे।

श्री खंड और उर्जा दूध से हम भी उर्जा लेना चाहेंगें।:)

कडुवासच said...

... सार्थक पोस्ट !!!

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