Thursday, March 4, 2010
देश से प्रेम
आज का समय देस के प्रेम का नहीं रहा है आज जमाना बदल गया है अब लोग धन दोलत - रूपये कमाने के दीवाने बनते जा रहे है मैंने पहले भी नागरिक कर्त्तव्य की बात की थी जिसका बोध कम होता जा रहा है ! भारत देश हमारा सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश था .लम्बी गुलामी मुस्लमान और अंग्रेजो ने हमें बहुत लूटा ,महमूद गजनबी के तो किस्से सबसे जादा सुने जाते है जैसे बुंदेलो हर बोलो के मुख हमने सुनी एक कहानी थी ---- खूब लड़ी मर्दानी थी वो तो झासी वाली रानी थी की तरह , फिर गाँधी आजाद भगत सिंह चंद्रशेखर जेसे आजादी के दिवानो के खून से हमें आजादी मिली और उस वक्त हमारे देश की हालत क्या थी , ओर आज हम किस मुकाम पर पहुचे है पर ............... इस बदले ज़माने से हमारी आशाये धूमिल पड रही है . युवायो को भटकाव से रोकना होगा रुपयों की हवस .भ्रस्टाचार लूट बेमानी कर्त्तव्य के प्रति लापरवाही जेसी संस्कृति को पनपने से रोक नागरिक बोध और इमानदारी से देशप्रेम पैदा होगा ,जो देश को स्थायी भाईचारा हिन्दू मुस्लिम एकता और देश प्रेम लाकर भारत को फिर विश्व सिरमोर्य बना पायेगा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2010
(42)
-
▼
March
(8)
- देस की नयी पीड़ी को तोहफा
- निगम बना राजनीती का आखाडा
- २०६७ हिदुयो के लिए नया वर्ष मंगलमय हो
- भारत जेसे देश के लिए ये आधुनिक फेसला विदेशी शिक्छ...
- १३ -१४ अखिल भारतीय ब्राहमण महासभा की रास्ट्रीय कार...
- जगत गुरु शंकरचर्या ने किया विप्र वार्ता हिंदी मासि...
- देश से प्रेम
- हिन्दू मुस्लिम भाई - भाई की ---- जागरूकता लाये
-
▼
March
(8)
4 comments:
bahut achcha desh prem paribhasit
....प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!
देश के प्रति प्रेम तो अभी भी है । धन दौलत के दीवाने लोग कब नहीं रहे । नागरिकता का अर्थ केवल पढे लिखे ही समझते है। सोने की चिड़िया तो अब भी है ,इस देश मे बहुत सोना है लेकिन तिजोरियो मे ।लूटने और लुटने के भी किस्से तो बहुत हैं । आज़ादी मिली है यह अच्छी बात है लेकिन अब गुलामे नये रूप मे है । भाईचारा नागरिक बोध ईमानदारी देशप्रेम सब ज़रूरी है । यह आशावाद ज़रूरी है ।
सही कहा...
Post a Comment