Thursday, October 15, 2009

संस्कृत भाषा के बहुत पास है छत्तीसगढ़ी भाषा

छत्तीसगढ़ में संस्कृत भाषा की शिक्षा के विकास के क्षेत्र में लगातार किए जा रहे प्रयासों के तहत संस्कृत-छत्तीसगढ़ी शब्दकोष निर्माण के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डल कार्यालय में किया गया।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि प्राचीनतम् संस्कृत भाषा को सतत रूप में पल्लवित, पुष्पित करने वाली छत्तीसगढ़ी भाषा में संस्कृत शब्दों की बहुलता है जैसे नगर-नॅगर, पिरथी-पृथ्वी, अन-अन्न, हाट-हट्ट, आगी-अग्नि, गत-गति, गरब-गर्व, चउथ-चतुर्थी, अमचुर-आम्रचूर्ण, अमरित-अमृत, आरो-आरव, उदिम-उद्दम् जैसे शब्द संस्कृत के बहुत पास हैं।

कार्यशाला के समन्वयक श्री बी.आर. साहू ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की प्राचीनतम एवं सभी भाषाओं की जननी है। छत्तीसगढ़ी भाषा को संस्कृत के पास पाकर हमें गौरव का अनुभव होता है।

कार्यशाला में प्रतिभागी सदस्यों द्वारा गहन चिन्तन एवं उत्साहपूर्वक संस्कृत-छत्तीसगढ़ी शब्दकोष निर्माण पर प्रारंभिक रूप से कार्य किया गया। कार्यशाला में बी.आर. साहू, व्याख्याता राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, डॉ. विद्यावती चन्द्राकर, सहायक प्राध्यापक राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, डॉ. नन्हें प्रसाद द्विवेदी, उपाध्याय, संस्कृत भारती छत्तीसगढ़, डॉ. तोयनिधि वैष्णव सहायक प्राध्यापक, संस्कृत महाविद्यालय रायपुर, डॉ. राजेन्द्र काले, शिक्षक, पं. रवि.वि.वि. परिसर उ.मा.वि. रायपुर डॉ. संध्यारानी शुक्ला व्याख्याता, एम.जी.एम. उ.मा.वि. कोरबा, श्री दादूभाई त्रिपाठी, प्रान्त संयोजक संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ सहित डॉ. कल्पना ध्दिवेदी सहायक संचालक छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् तथा डॉ. सुरेश कुमार शर्मा सचिव, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् शामिल हुए।

डॉ. सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि भविष्य में कार्यशालाओं का आयोजन कर संस्कृत-छत्तीसगढ़ी शब्दकोष का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।

3 comments:

अजय कुमार said...

swagat aur shubhkamnayen

Dev said...

WiSh U VeRY HaPpY DiPaWaLi.......

Rahul Singh said...

छत्‍तीसगढ़ी और संस्‍कृत का जो रिश्‍ता है, उससे शब्‍द साम्‍य स्‍वाभाविक है, लेकिन सहज तद्भव शब्‍दों के साथ और भी विशिष्‍ट छत्‍तीसगढ़ी शब्‍दों का उल्‍लेख अच्‍छा होता.

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