Thursday, October 15, 2009

केलीफोर्निया में भगवान बालाजी का मंदिर

प्रशांत महासागर के तट पर बसा मेलेबू नामक शहर, लॉस एंजिल्स से 70 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित अत्यंत ही रमणीक स्थान है । मेलेबू का बालाजी मंदिर दक्षिण भारतीय शैली से निर्मित है । चहुँ ओर प्राकृतिक पहाड़ियों के परकोटे से घिरा हुआ मंदिर अत्यंत ही भव्य एवं दर्शनीय है । इंजीनियरों द्वारा मंदिर के स्थान का चयन करना प्रशंसनीय है ।


Malibu Temple
Originally uploaded by Gajanan Adalinge
प्रशांत महासागर के तटीय चट्टानों को काटकर मंदिर के स्तंभ एवं भित्ति चित्र का निर्माण किया गया है । दक्षिण भारत से इस मंदिर के भित्तिचित्र के निर्माण के लिए 400 से अधिक मिस्त्री बुलवाए गये थे । स्तंभों एवं दीवालों की चित्रकारी मदुराई के मीनाक्षी ंदिर की याद ताजा कर रही थी । मंदिर का प्रवेश द्वार रामेश्वरम् के मंदिर के प्रवेस द्वारा की तरह दिख रहा था ।

बालाजी के मंदिर के चारो कोनों पर अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गयी है । मंदिर के तलघर में विशाल सभागार बनाया गया है । इस सभागार में सामाजिक एवं धार्मिक अनुष्ठान भारतीयों द्वारा संपन्न होते रहते हैं । यज्ञोपवीत, विवाह एवं जन्म दिन की पार्टियां नियमित चलते रहता है । बालाजी के दर्शन के लिए न वहां लम्बी कतार थी न ही धक्का मुक्की न ही कोई आगे बढ़िये कहने वाला था । बहुत ही कम दर्शनार्थी थे ।

अत: गर्भगृह के समक्ष बैठकर हमने आराम से दर्शन किया । पूजा करन ेके लिए दक्षिण भारतीय पुजारी रखा गया है । पूजा अर्चना के पश्चात पुजारी चरणामृत बांटने बाहर निकला उसे देखकर बच्चे डरकर चिल्लाने लगे । पुजारी का रंग कोयले से भी काला था । ऊंचा पूरा हट्टा कट्टा रेशमी पीली धोती धारण किए थे । उसके शरीर में उसकी आंखे, तिलक एवं जनेऊ अलग से चमकती हुई प्रतीत हो रही थी । अगर पुजारी का रंग गोरा होता तो वह सुदर्शन पुरूष होता । परन्तु बच्चों का डरना स्वाभाविक था । दर्शन के पश्चात सागर तट पर बैठकर मंदिर के समक्ष हमने सूर्यास्त के सौन्दर्य का आनंद उठाया । पल भर में सूर्य के दहकते हुए लाल लाल गोले को समुद्र निगल गया एवं चहुँ ओर आकाश में सिंदूरी लालिमा बिखेर गया ।

सेनफ्रांसिसको से करीब 50 मील की दूरी पर लीवर पूल नामक शहर है । वहां के वैज्ञानिक शोध संस्थान में है । अमेरिका में कार पार्किंग की व्यवस्था पहले की जाती है । मंदिर प्रांगण के समक्ष विशाल कार पार्किंग के लिए सुरक्षित स्थान है। मंदिर मे ंपूजा करने के लिे 16 पुजारी रखे गये हैं । इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है । दीवाली के अवसर पर फ्रीमांट से 30 मील की दूरी तय करके हम भगवान दर्शन के लिए गये थे । सभी देवी देवताओं के समक्ष दर्शन के लिए लम्बी लम्बी कतारें लगी हुई थी । हजारों दर्शनार्थी होने के बावजूद बिना धक्का मुक्की के लोग शांति पूर्वक दर्शन कर रहे थे । सभी दर्शनाथी भारतीय परिधानों में सुसज्जित दिखाई दे रही थी । महिलाएं रेशमी साड़ियां, सलवार कुर्ता एवं स्वर्ण आभूषणों से सजी एवं लदी हुई थी । वहां उन्हें ऐसे सजने संवरने के बहुत कम अवसर प्राप्त होते हैं । कपूर, चंदन, आरती, अगरबत्ती की खुशबू वातावरण को मदहोश कर देने वाली थी। भारतीय संस्कृति से सराबोर वातावरण में मन आत्मविभोर हो उठा । थोड़ी देर के लिए मैं भूल ही गई थी कि यह भारत न होकर अमेरिका है । दर्शन के पश्चात् कतारबध्द होकर प्लास्टिक दोने में लेमन राइस का प्रसाद ग्रहण किया । लेमन लाइस इतना स्वादिष्ट था कि दाल सब्जी की कमी महसूस ही नहीं हुई । हमने भरपेट प्रसाद खाया । एक बड़े से कक्ष में टेबिल कुर्सी लगी हुई थी । वहीं बैठकर सबने प्रसाद ग्रहण किया । शाम को वापस फ्रीमांट आ गये ।

- श्रीमती रमादेवी शर्मा, के बताये अनुसार

3 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, लेखन कार्य के लिए बधाई
धन तेरस पर्व की बधाई
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Ajay Tripathi said...

ललित भाई आप तो महाप्रतापी ब्‍लागर हैं
धन्‍वतरी पर्व की हार्दिक बधाई आपको भी...

SUNIL DWIVEDI said...

aap na balaji k bare me likha aacha laga
d sunil

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