प्रशांत महासागर के तट पर बसा मेलेबू नामक शहर, लॉस एंजिल्स से 70 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित अत्यंत ही रमणीक स्थान है । मेलेबू का बालाजी मंदिर दक्षिण भारतीय शैली से निर्मित है । चहुँ ओर प्राकृतिक पहाड़ियों के परकोटे से घिरा हुआ मंदिर अत्यंत ही भव्य एवं दर्शनीय है । इंजीनियरों द्वारा मंदिर के स्थान का चयन करना प्रशंसनीय है ।
प्रशांत महासागर के तटीय चट्टानों को काटकर मंदिर के स्तंभ एवं भित्ति चित्र का निर्माण किया गया है । दक्षिण भारत से इस मंदिर के भित्तिचित्र के निर्माण के लिए 400 से अधिक मिस्त्री बुलवाए गये थे । स्तंभों एवं दीवालों की चित्रकारी मदुराई के मीनाक्षी ंदिर की याद ताजा कर रही थी । मंदिर का प्रवेश द्वार रामेश्वरम् के मंदिर के प्रवेस द्वारा की तरह दिख रहा था ।
बालाजी के मंदिर के चारो कोनों पर अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गयी है । मंदिर के तलघर में विशाल सभागार बनाया गया है । इस सभागार में सामाजिक एवं धार्मिक अनुष्ठान भारतीयों द्वारा संपन्न होते रहते हैं । यज्ञोपवीत, विवाह एवं जन्म दिन की पार्टियां नियमित चलते रहता है । बालाजी के दर्शन के लिए न वहां लम्बी कतार थी न ही धक्का मुक्की न ही कोई आगे बढ़िये कहने वाला था । बहुत ही कम दर्शनार्थी थे ।
अत: गर्भगृह के समक्ष बैठकर हमने आराम से दर्शन किया । पूजा करन ेके लिए दक्षिण भारतीय पुजारी रखा गया है । पूजा अर्चना के पश्चात पुजारी चरणामृत बांटने बाहर निकला उसे देखकर बच्चे डरकर चिल्लाने लगे । पुजारी का रंग कोयले से भी काला था । ऊंचा पूरा हट्टा कट्टा रेशमी पीली धोती धारण किए थे । उसके शरीर में उसकी आंखे, तिलक एवं जनेऊ अलग से चमकती हुई प्रतीत हो रही थी । अगर पुजारी का रंग गोरा होता तो वह सुदर्शन पुरूष होता । परन्तु बच्चों का डरना स्वाभाविक था । दर्शन के पश्चात सागर तट पर बैठकर मंदिर के समक्ष हमने सूर्यास्त के सौन्दर्य का आनंद उठाया । पल भर में सूर्य के दहकते हुए लाल लाल गोले को समुद्र निगल गया एवं चहुँ ओर आकाश में सिंदूरी लालिमा बिखेर गया ।
सेनफ्रांसिसको से करीब 50 मील की दूरी पर लीवर पूल नामक शहर है । वहां के वैज्ञानिक शोध संस्थान में है । अमेरिका में कार पार्किंग की व्यवस्था पहले की जाती है । मंदिर प्रांगण के समक्ष विशाल कार पार्किंग के लिए सुरक्षित स्थान है। मंदिर मे ंपूजा करने के लिे 16 पुजारी रखे गये हैं । इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है । दीवाली के अवसर पर फ्रीमांट से 30 मील की दूरी तय करके हम भगवान दर्शन के लिए गये थे । सभी देवी देवताओं के समक्ष दर्शन के लिए लम्बी लम्बी कतारें लगी हुई थी । हजारों दर्शनार्थी होने के बावजूद बिना धक्का मुक्की के लोग शांति पूर्वक दर्शन कर रहे थे । सभी दर्शनाथी भारतीय परिधानों में सुसज्जित दिखाई दे रही थी । महिलाएं रेशमी साड़ियां, सलवार कुर्ता एवं स्वर्ण आभूषणों से सजी एवं लदी हुई थी । वहां उन्हें ऐसे सजने संवरने के बहुत कम अवसर प्राप्त होते हैं । कपूर, चंदन, आरती, अगरबत्ती की खुशबू वातावरण को मदहोश कर देने वाली थी। भारतीय संस्कृति से सराबोर वातावरण में मन आत्मविभोर हो उठा । थोड़ी देर के लिए मैं भूल ही गई थी कि यह भारत न होकर अमेरिका है । दर्शन के पश्चात् कतारबध्द होकर प्लास्टिक दोने में लेमन राइस का प्रसाद ग्रहण किया । लेमन लाइस इतना स्वादिष्ट था कि दाल सब्जी की कमी महसूस ही नहीं हुई । हमने भरपेट प्रसाद खाया । एक बड़े से कक्ष में टेबिल कुर्सी लगी हुई थी । वहीं बैठकर सबने प्रसाद ग्रहण किया । शाम को वापस फ्रीमांट आ गये ।
- श्रीमती रमादेवी शर्मा, के बताये अनुसार
Thursday, October 15, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2009
(19)
-
▼
October
(15)
- बीबीसी के मेरे मित्र विनोद वर्मा की दुष्कर यात्रा
- अशोक चौहान, कृपाशंकर सिंह, सुशील कुमार शिन्दे के ब...
- कांग्रेस को 3-0 की बढ़त
- नई ट्रेन 1 नवंबर से छत्तीसगढ़ को सौगात
- बेस्ट हेरीटेज टूरिज्म स्टेट छत्तीसगढ़
- ईमानदारी पर नजर रखने वाली नजरों का अकाल
- मिठाई की मिठास पर बाजारवाद हावी
- हैप्पी ज्यादा शक्कर दीपावली
- लक्ष्मी योग
- प्रेसिडेन्ट ओबामा दीवाली वीडिओ
- डॉ. संजय तिवारी को राष्ट्रीय रिसर्च अवार्ड
- केलीफोर्निया में भगवान बालाजी का मंदिर
- संस्कृत भाषा के बहुत पास है छत्तीसगढ़ी भाषा
- दीप उत्सव में भगाइए मन का अंधकार
- धनतेरस
-
▼
October
(15)
3 comments:
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, लेखन कार्य के लिए बधाई
धन तेरस पर्व की बधाई
http://lalitdotcom.blogspot.com
http://lalitvani.blogspot.com
http://shilpkarkemukhse.blogspot.com
http://ekloharki.blogspot.com
http://adahakegoth.blogspot.com
http://www.gurturgoth.com
ललित भाई आप तो महाप्रतापी ब्लागर हैं
धन्वतरी पर्व की हार्दिक बधाई आपको भी...
aap na balaji k bare me likha aacha laga
d sunil
Post a Comment