धन्य है हमारा देश जिसका संस्कृति सभ्यता और भाईचरा का हम गुणगान करते नहीं थकते । हमारे विरासत में हमें हारने की आदत मिली है । आज भी हम हार रहे हैं । अंतर इतना है कि पहले दूसरे हराते थे अब हम अपनों से हार रहे हैं हमारा देश विशाल है साथ ही महान भी जितने भगवान और संत हमारे यहां जन्म लिये उसके अनुपात में अन्य देश हमसे मीलों पीछे हैं शायद इसलिए हम लोगों ने तय कर लिया कि हम तो धर्म का सामाजिक मान्यताओं का और कानून का उल्लंघन करके रहेंगे यहां सब ठीक करने के लिए भगवान आयेंगे और वही सब ठीक करेंगे । इसलिए हमारा परम वाक्य है कि भगवान सब देख रहा है ।
घी में चर्बी मिलाओ, नकली खोवा बनाकर उसकी मिठाइयां बंटवाओ, फलों में रसायन मिलाकर खूबसूरत बनाओ, चाहे वह जहरीली ही क्यों न हो । शिक्षातंत्र भ्रष्ट हो जाये, न्याय तंत्र नष्ट हो जाये और नेताओं की तो बात ही करना बेकार है । जब यह कहा जा सकता है कि जान दे दूंगा, इस्तीफा नहीं दूगां।
हरि अनंत हरिकथा अंता आखिर भगवान तो देख ही रहा है । विभिन्न तंत्रों को ईमानदार बनाये रखने के लिए भी तंत्र है जो तथा कथित रूप से स्वतंत्र है । किन्तु उन्हें भी भगवान पर भरोसा है कि वह देख रहा है तथा समय आने पर वह देख लेगा । हम तो अभी जो भी मिल रहा है उसे भगवान का प्रसाद समझकर प्राप्त करें । पूरा समाज भ्रष्ट हो चुका है और निकट भविष्य में सुधार की भी संभावना नहीं है क्योंकि हम निहालों को जो शिक्षा और संस्कार दे रहे हैं उनक लिए तो पैसा ही भगवान एव शरीर सेवा ही पूजा होगी । अतएव अब भगवान पर भरोसा करने के अलावा तथा उसकी प्रतीक्षा करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है ।
Friday, October 16, 2009
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2 comments:
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
यदा यदा ही धर्मस्य, संभवामि युगे युगे.
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